भारत के त्यौहार अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक मान्यताओं से भरे होते हैं, और दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जो देशभर में विशेष उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। हालांकि, दिवाली से एक दिन पहले एक अन्य महत्वपूर्ण दिन भी आता है जिसे छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि छोटी दिवाली 2024 क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व क्या है और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं क्या हैं।
छोटी दिवाली: धार्मिक महत्व
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो मुख्य दिवाली से एक दिन पहले आता है। छोटी दिवाली के दिन भगवान कृष्ण ने असुर नरकासुर का वध किया था और इस दिन को उनके विजय के रूप में मनाया जाता है।
छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है? पौराणिक कथा
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है, मुख्य दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा असुर नरकासुर के वध की याद में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए धरती पर अत्याचार फैलाए थे और 16,000 कन्याओं को कैद कर रखा था। उसने देवताओं और मनुष्यों को अत्यधिक कष्ट पहुंचाया था।
उस समय, भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और उन कन्याओं को मुक्त कराया। इस विजय को अंधकार पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है, और इसी कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जैसे मुख्य दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव है।
छोटी दिवाली पर लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है, और इसके बाद घरों में दीप जलाकर भगवान कृष्ण, यमराज और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन को सौंदर्य और स्वास्थ्य से भी जोड़ा गया है, इसलिए इसे रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
पर्व | तारीख | महत्व |
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छोटी दिवाली 2024 | 30 अक्टूबर 2024 | नरकासुर वध का पर्व, भगवान कृष्ण की विजय का उत्सव |
मुख्य दिवाली 2024 | 31 अक्टूबर 2024 | माता लक्ष्मी की पूजा, अंधकार पर प्रकाश की जीत |
छोटी दिवाली की पूजा विधि
छोटी दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर तेल मालिश करना और स्नान करना शुभ माना जाता है। इसे अभ्यंग स्नान कहते हैं, जो कि इस दिन की विशेष पूजा प्रक्रिया मानी जाती है। इसके बाद घर की साफ-सफाई और दीप जलाकर भगवान यमराज, भगवान कृष्ण और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
पूजा के प्रमुख चरण:
- स्नान और शुद्धि: अभ्यंग स्नान से शरीर और मन की शुद्धि की जाती है। यह स्नान सूर्योदय से पहले करने का महत्व बताया गया है।
- दीप जलाना: घर के हर कोने में दीपक जलाए जाते हैं ताकि नकारात्मक शक्तियां दूर हों।
- भगवान कृष्ण की पूजा: भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने दीपक जलाकर उनका ध्यान किया जाता है।
- यमराज की पूजा: इस दिन यमराज को दीप जलाकर उनकी आराधना की जाती है ताकि अकाल मृत्यु से मुक्ति मिले।
छोटी दिवाली से जुड़े रोचक तथ्य
- यम दीपदान: छोटी दिवाली के दिन यमराज के लिए दीपदान का आयोजन होता है। माना जाता है कि इस दिन दीप जलाने से घर में अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
- रूप चौदस: इस दिन को रूप चौदस भी कहा जाता है, जिसमें लोग सौंदर्य और स्वास्थ्य के लिए विशेष उपाय करते हैं। महिलाएं इस दिन को अपने रूप को निखारने के लिए विशेष मानती हैं।
- नरकासुर का वध: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे धरती पर सुख-शांति का आगमन हुआ।