मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है, Makar Sankranti kyu Manaya Jata Hai:- मकर संक्रांति हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पर्व है, जिसे विशेष रूप से भारत में मनाया जाता है। यह पर्व आमतौर पर जनवरी महीने के 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व है, जो इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से मनाने का कारण बनता है। इस ब्लॉग में हम मकर संक्रांति के महत्व, इतिहास, पूजा विधि, और इससे जुड़ी कुछ प्रमुख बातें जानेंगे।
मकर संक्रांति का दूसरा नाम क्या है?
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है. पोंगल को लेकर बड़ा उत्साह होता है और इसे पूरे 4 दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल के तौर पर आयोजन होता है.
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मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति Makar Sankranti in Hindi का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत गहरा है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे ‘उत्तरायण’ की शुरुआत कहा जाता है। उत्तरायण का समय शुभ माना जाता है क्योंकि इसके दौरान सूर्य की गति उत्तर की ओर होती है, और यह लोगों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है।
- धार्मिक महत्व: मकर संक्रांति का दिन विशेष रूप से पुण्य लाभ प्राप्त करने का दिन माना जाता है। इसे ‘दान और पुण्य का दिन’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को दान देते हैं।
- कृषि और फसल के त्यौहार के रूप में: मकर संक्रांति का पर्व भारत में कृषि प्रधान समाज के लिए एक प्रमुख फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे किसानों की मेहनत के फल का उत्सव माना जाता है। इस दिन नए फसल का स्वागत किया जाता है और लोगों के घरों में ताजा फल और अनाज वितरित किया जाता है।
- खगोलीय महत्व: मकर संक्रांति को खगोलीय दृष्टिकोण से भी अहम माना जाता है, क्योंकि यह सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का समय होता है। इस दिन सूर्य पृथ्वी के उत्तर में स्थित मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे दिन बड़े होने लगते हैं और रात छोटी होती जाती है।
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मकर संक्रांति का इतिहास Makar Sankranti in Hindi
मकर संक्रांति का इतिहास बहुत पुराना है, और यह प्राचीन भारत से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यह पर्व राजा ययाति और उनकी पत्नी देवयानी के बीच हुए एक संघर्ष से जुड़ा हुआ है। इस संघर्ष में ययाति ने सूर्य देव से आशीर्वाद लिया था, जिसके बाद सूर्य ने मकर संक्रांति के दिन पृथ्वी पर उतरने का निर्णय लिया। यह दिन उनके उतरने का दिन माना जाता है, और इसी दिन से मकर संक्रांति की शुरुआत मानी जाती है।
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मकर संक्रांति के दिन क्या खाना चाहिए?
मकर संक्रांति को संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी आदि जैसे नामों से जाना जाता है, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, सूर्य को अर्घ्य देने, पूजा करने, दान करने के साथ ही तिल, गुड़, रेवड़ी आदि का सेवन करने का महत्व है, इस दिन खिचड़ी का सेवन करना अनिवार्य माना जाता है.
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मकर संक्रांति का सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति केवल धार्मिक और खगोलीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा भी है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार के उत्सव और परंपराएँ मनाई जाती हैं। कुछ प्रमुख सांस्कृतिक पहलु इस प्रकार हैं:
- उत्तर भारत में मकर संक्रांति: उत्तर भारत में मकर संक्रांति को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग आग जलाकर तिल, गुड़, मूंगफली और ताजे अनाज का दान करते हैं।
- गुजरात में उत्तरायण: गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पतंगबाजी का एक बड़ा आयोजन होता है। लोग आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाकर इस दिन को खास बनाते हैं।
- महाराष्ट्र में मकर संक्रांति: महाराष्ट्र में इस दिन तिल गुड़ की रेवड़ी और तिल लड्डू खाने की परंपरा है। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देने के साथ-साथ मिठाइयां बांटते हैं।
- तमिलनाडु में पोंगल: तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। यह कृषि उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें नए अनाज और ताजे फलों का सेवन किया जाता है।
मकर संक्रांति से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
तथ्य | विवरण |
मकर संक्रांति की तिथि | 14 या 15 जनवरी (प्रत्येक वर्ष भिन्न हो सकती है) |
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश | 14 जनवरी को |
प्रमुख स्थान | भारत, नेपाल, श्रीलंका |
त्योहार का प्रमुख उद्देश्य | फसल की कटाई, सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का उत्सव |
प्रमुख रीति-रिवाज | तिल दान, पतंगबाजी, स्नान, पूजा |
विशेष पकवान | तिल गुड़ की रेवड़ी, तिल लड्डू, खिचड़ी |
मकर संक्रांति की पूजा विध
मकर संक्रांति के दिन पूजा विधि में विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है। पूजा करने की सही विधि निम्नलिखित है:
- पतंग उड़ाना: खासकर उत्तर भारत में लोग मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाते हैं। यह परंपरा भी सूर्य देव की आराधना से जुड़ी हुई है।
- स्नान और उबटन: मकर संक्रांति के दिन प्रात:काल गंगाजल से स्नान करें। स्नान के बाद उबटन (सांस्कृतिक स्नान) करना शुभ माना जाता है।
- सूर्य देव की पूजा: सूर्य देव की पूजा के लिए तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें तिल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें।
- दान का महत्व: इस दिन गरीबों को तिल, गुड़, और वस्त्र का दान करने से पुण्य मिलता है।
मकर संक्रांति से जुड़ी कुछ रोचक बातें
- मकर संक्रांति का पर्व विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे पोंगल (तमिलनाडु), उत्तरायण (गुजरात), लोहड़ी (पंजाब), और माघ मेला (उत्तर प्रदेश)।
- मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।
- इस दिन का शुभ महत्त्व सूर्य देव के उत्तरायण में प्रवेश करने से जुड़ा है, जिससे दिन लंबा होने लगता है और सर्दी का प्रभाव कम होता है।
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Conclusion
मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, Makar Sankranti kyu Manaya Jata Hai जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि कृषि, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं, तिल और गुड़ का दान करते हैं, और विभिन्न स्थानों पर इसके उल्लास में शामिल होते हैं। मकर संक्रांति का महत्व हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, और पुण्य की प्राप्ति से जुड़ा है।
FAQs (Frequently Asked Questions) Makar Sankranti kyu Manaya Jata Hai
Q1: मकर संक्रांति कब मनाई जाती है?
मकर संक्रांति प्रत्येक वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का दिन होता है।
Q2: मकर संक्रांति पर क्या खास होता है?
मकर संक्रांति पर विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है, तिल और गुड़ का दान किया जाता है, और विभिन्न स्थानों पर पर्व मनाने के लिए अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं।
Q3: मकर संक्रांति पर क्या खाया जाता है?
मकर संक्रांति पर तिल गुड़ की रेवड़ी, तिल लड्डू, खिचड़ी, और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।
Q4: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मनाई जाती है। इसे उत्तरायण की शुरुआत माना जाता है, जो कि एक शुभ समय होता है।