
शब-ए-बारात 2025 कब है Shab-e-Barat kab hai): शब-ए-बारात (Shab-e-Barat), एक महत्वपूर्ण इस्लामिक त्यौहार है। यह त्यौहार इस्लामी कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 15वीं रात को मनाया जाता है। शब ए बारात एक ऐसी रात है जब अल्लाह अपने बंदों की तौबा को कुबूल करते हैं और उनके गुनाहों को माफ करते हैं। यह रात इस्लामी धर्म में बहुत महत्व रखती है और मुसलमानों के लिए एक पवित्र और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। शब-ए-बारात की रात को मुसलमान नमाज़ अदा करते हैं, कुरान पढ़ते हैं, और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।
इस रात को मुसलमान अपने पूर्वजों और मृत लोगों की आत्माओं की शांति के लिए भी प्रार्थना करते हैं। शब ए बारात का महत्व इस्लामी धर्म में बहुत अधिक है, और यह त्यौहार मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है अपने गुनाहों की माफी मांगने और अल्लाह के साथ जुड़ने का। शब ए बारात 2025 में कब है?, शब ए बारात का महत्व क्या है?, शब ए बारात कैसे मनाया जाता है? इत्यादि! यह सवाल आपके मन में भी होगा, इसीलिए इन सभी सवालों के जवाब हम आपको इस लेख के जरिए देने वाले हैं।
तो आइए, इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार ‘शब-ए-बारात’ (Shab-e-Barat) 2025 के बारे में विस्तार से जानते हैं और इसके महत्व को समझते हैं…..
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शब-ए-बारात क्या है? | Shab-e-Barat kya?

शब-ए-बारात (Shab-e-Barat), जिसे “मगफिरत की रात” भी कहा जाता है, इस्लामिक कैलेंडर के शाबान महीने की 15वीं रात को मनाई जाती है। इस रात को मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं। इसे इबादत, रहमत और मगफिरत की रात माना जाता है।
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शब-ए-बारात 2025 में कब है? | Shab-e-Barat 2025 kab Hai?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) शाबान महीने की 14वीं रात को शुरू होती है और 15वीं शाबान की सुबह तक जारी रहती है। यह रात विशेष रूप से माफी, दुआ और आत्म-परिष्करण का अवसर मानी जाती है। इस साल, शब-ए-बारात 13 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। यह रात एक नई शुरुआत और अल्लाह से तौबा करने का समय होती है, जब हर व्यक्ति अपनी गलतियों के लिए माफी मांगता है और अपनी किस्मत के लिए दुआ करता है।
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शब-ए-बारात क्यों मनाया जाता है? | Shab-e-Barat kyu Manaya Jata Hai?
- गुनाहों की माफी: इस रात मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। यह एक अवसर है जब वे अपने दिल से तौबा करते हैं और अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करते हैं।
- पूर्वजों की याद: लोग अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाकर उन्हें याद करते हैं। इस दिन कब्रों की सफाई और फूल चढ़ाने की परंपरा होती है, जिससे श्रद्धा व्यक्त की जाती है।
- दुआ और इबादत: शब-ए-बारात को विशेष दुआएं की जाती हैं। मुसलमान रातभर इबादत करते हैं, अल्लाह से रहमत और मगफिरत की प्रार्थना करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
- रहमत की रात: इस रात को फरिश्ते धरती पर उतरते हैं और अल्लाह की रहमतों की बारिश होती है। यह रात विशेष रूप से दुआओं के लिए अनुकूल मानी जाती है।
- समुदाय की एकता: शब-ए-बारात पर लोग एकत्रित होते हैं, जिससे समुदाय में एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती है। यह अवसर एक-दूसरे के साथ मिलकर इबादत करने का होता है।
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शब-ए-बारात की रात क्या-क्या होता है? | Shab-e-Barat ki Raat kya-kya Hota Hai?
शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) एक विशेष रात है, जो मुसलमानों द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाई जाती है, जो मगरिब की नमाज के बाद शुरू होती है और 15वीं शाबान की सुबह तक जारी रहती है। इस रात में लोग अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाते हैं, जहां वे मगफिरत (माफी) की दुआ करते हैं। कब्रों की सफाई करके उन पर फूल चढ़ाते हैं और अगरबत्ती जलाते हैं। इसके अलावा, लोग रातभर मस्जिदों या घरों में इबादत करते हैं, कुरान पढ़ते हैं और अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं।
कुछ मुसलमान शब-ए-बारात के दिन दो नफिल रोजे रखते हैं—एक शब-ए-बारात के दिन और दूसरा अगले दिन, हालांकि यह रोजा फर्ज नहीं होता। यह रात तौबा (प्रायश्चित) और आत्म-निर्माण की रात मानी जाती है, जब लोग अल्लाह के पास अपनी गलतियों के लिए माफी मांगते हैं और अपनी नीयत सुधारने का संकल्प लेते हैं।
इस रात खैरात (दान) देना भी महत्वपूर्ण है। लोग अपनी क्षमता अनुसार दान करते हैं, और घरों में मीठे पकवान बनाए जाते हैं, जिससे इस पवित्र अवसर को मनाया जाता है।
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शब-ए-बारात का महत्त्व क्या है? | Shab-e-Barat ka Mahatva kya Hai?
- आध्यात्मिक उन्नति: शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) का महत्व आत्मिक उन्नति में है। इस रात की इबादत से व्यक्ति अपने गुनाहों से मुक्त होकर अल्लाह के करीब जाता है, जिससे उसकी आत्मा को शांति मिलती है।
- सामाजिक एकता: यह रात समुदाय के लोगों को एकत्रित करती है। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर इबादत करते हैं, जिससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं और भाईचारे की भावना बढ़ती है।
- पूर्वजों की श्रद्धांजलि: इस रात लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह परंपरा उन्हें सम्मानित करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है।
Conclusion
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (शब-ए-बारात) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट www.easybhulekh.in पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s
Q. शब-ए-बारात क्या है?
Ans. शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) इस्लामिक कैलेंडर के शाबान महीने की 15वीं रात को मनाई जाती है, जिसमें मुसलमान गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं।
Q. शब-ए-बारात 2025 में कब है?
Ans. शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) 13 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी, जो शाबान महीने की 14वीं रात को शुरू होती है और 15वीं शाबान की सुबह तक रहती है।
Q. शब-ए-बारात क्यों मनाई जाती है?
Ans. यह रात गुनाहों की माफी, पूर्वजों की याद, दुआ और इबादत के लिए होती है। मुसलमान इस रात को अल्लाह से क्षमा मांगते हैं और अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं।
Q. शब-ए-बारात की रात क्या विशेष होता है?
Ans. इस रात में लोग कब्रों की सफाई करते हैं, फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती जलाते हैं और रातभर इबादत करते हैं, गुनाहों से तौबा करते हैं।
Q. शब-ए-बारात पर लोग रोजा रखते हैं?
Ans. कुछ मुसलमान शब-ए-बारात पर दो नफिल रोजे रखते हैं, पहला शब-ए-बारात के दिन और दूसरा अगले दिन, जो फर्ज नहीं बल्कि नफिल होते हैं।
Q. शब-ए-बारात पर खैरात क्यों दी जाती है?
Ans. शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) पर मुसलमान अपनी क्षमता अनुसार दान करते हैं, ताकि उन्हें अल्लाह की रहमत मिल सके और वे अपनी किस्मत को सुधार सकें।