भारत, एक तेजी से विकसित हो रहा देश होते हुए भी, आज भी भुखमरी और कुपोषण की गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index – GHI) 2024 की हालिया रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत की इस दिशा में कमजोर स्थिति को उजागर किया है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि 2024 में भारत की भुखमरी की स्थिति क्या है, इसके पीछे के प्रमुख कारण क्या हैं, और इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार और समाज द्वारा क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) क्या है?
वैश्विक भूख सूचकांक एक वार्षिक रिपोर्ट है जो विभिन्न देशों में भुखमरी की स्थिति का आकलन करती है। यह सूचकांक चार प्रमुख मापदंडों पर आधारित होता है:
- कुपोषण (Undernourishment)
- पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग (Stunting in Children under 5)
- पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में वेस्टिंग (Wasting in Children under 5)
- पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (Child Mortality)
इन मापदंडों के आधार पर प्रत्येक देश का एक स्कोर निर्धारित किया जाता है। GHI का स्कोर जितना अधिक होता है, उस देश में भूख की स्थिति उतनी ही गंभीर मानी जाती है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) रिपोर्ट 2024
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2024 एक वार्षिक रिपोर्ट है जो वैश्विक स्तर पर भुखमरी की स्थिति का आकलन करती है। यह रिपोर्ट भुखमरी से निपटने के लिए आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करती है। 2024 की रिपोर्ट में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं:
भारत की स्थिति:
- रैंकिंग: 2024 में, भारत 127 देशों में से 105वें स्थान पर है। यह दर्शाता है कि भारत में भुखमरी की स्थिति “गंभीर” है।
- GHI स्कोर: भारत का स्कोर 27.3 है, जो भुखमरी की गंभीरता को दर्शाता है
मुख्य संकेतक:
ग्लोबल हंगर इंडेक्स चार प्रमुख मापदंडों पर आधारित होता है:
- कुपोषण: जनसंख्या का 13.7% हिस्सा अभी भी पर्याप्त कैलोरी प्राप्त नहीं कर पाता है।
- स्टंटिंग (Stunting): पाँच साल से कम उम्र के 35.5% बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कम लंबाई के हैं।
- वेस्टिंग (Wasting): पाँच साल से कम उम्र के 18.7% बच्चों का वजन उनकी लंबाई के अनुसार कम है।
- बाल मृत्यु दर (Child Mortality): पाँच साल से कम उम्र के 2.9% बच्चों की मृत्यु हो जाती है
वैश्विक संदर्भ:
2024 की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में लगभग 733 मिलियन लोग हर दिन भूख का सामना कर रहे हैं, जबकि लगभग 2.8 बिलियन लोग स्वस्थ आहार का खर्च वहन नहीं कर सकते। साथ ही, वैश्विक स्तर पर कई देशों में भूख के स्तर में विशेष सुधार नहीं हो पाया है, खासकर अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में
दक्षिण एशिया की स्थिति:
भारत के पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, नेपाल, और श्रीलंका ने GHI में बेहतर प्रदर्शन किया है। इन देशों की स्थिति भारत की तुलना में बेहतर है, क्योंकि उन्होंने अपने खाद्य और पोषण सुरक्षा तंत्र में सुधार किए हैं
2024 में भारत का स्थान Global Hunger Index Mein Bharat Ka Sthan
2024 की वैश्विक भूख सूचकांक (GHI) रिपोर्ट के अनुसार, भारत का स्थान 127 देशों में से 105वां है। भारत का GHI स्कोर 27.3 है, जो इस बात का संकेत देता है कि देश में भुखमरी की समस्या “गंभीर” है। भारत इस सूची में पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ शामिल है, जबकि इसके पड़ोसी देश श्रीलंका, नेपाल, और बांग्लादेश बेहतर स्थिति में हैं Source : NewsBytes Business & Finance News
प्रमुख आंकड़े (Statistics)
2024 में भारत की भुखमरी स्थिति के कुछ प्रमुख आंकड़े निम्नलिखित हैं:
मापदंड | आंकड़े 2024 |
---|---|
वैश्विक भूख सूचकांक (GHI) स्कोर | 27.3 |
वैश्विक रैंक | 105वां |
जनसंख्या का प्रतिशत जो कुपोषित है | 13.7% |
पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग | 35.5% |
पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में वेस्टिंग | 18.7% |
पाँच साल से कम बच्चों की मृत्यु दर | 2.9% |
भारत में भुखमरी के प्रमुख कारण
भारत में भुखमरी के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
गरीबी और बेरोजगारी:
भारत में एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। जब लोग आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, तो उनके पास पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन खरीदने की क्षमता नहीं होती है। बेरोजगारी भी लोगों की आय को सीमित करती है, जिससे वे अपने परिवारों को ठीक से भोजन उपलब्ध नहीं करा पाते।
खराब कृषि व्यवस्था:
भारत में कृषि पर एक बड़ा हिस्सा निर्भर है, लेकिन कई किसान उचित समर्थन और संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। कम उपज, खराब मौसम, और कृषि क्षेत्र में निवेश की कमी खाद्य उत्पादन को प्रभावित करती है, जिससे किसानों के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराना मुश्किल हो जाता है।
खाद्य वितरण प्रणाली में खामियां:
सरकारी योजनाओं के तहत राशन वितरण प्रणाली (PDS) में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन की समस्याएं हैं। यह सुनिश्चित करने के बावजूद कि जरूरतमंदों तक खाद्यान्न पहुँचे, अक्सर वितरण में अनियमितताएं देखी जाती हैं, जिससे खाद्य संकट और भुखमरी की स्थिति बनी रहती है।
कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याएं:
भारत में बच्चों और महिलाओं के बीच कुपोषण की समस्या गहरी है। उचित पोषण न मिल पाने से बच्चे कमजोर होते हैं, और उनके विकास में अवरोध उत्पन्न होता है। इसके अलावा, स्वच्छता की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता भी समस्या को और बढ़ाती है।
जलवायु परिवर्तन:
जलवायु परिवर्तन का सीधा असर कृषि उत्पादन पर पड़ता है। अत्यधिक वर्षा, सूखा, और अन्य मौसम की विकट परिस्थितियाँ फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे खाद्य आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है और भुखमरी की समस्या गहराती है।
सरकारी प्रयास
सरकार ने भुखमरी की समस्या से निपटने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं:
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना: इस योजना के तहत गरीबों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है, जिससे उन्हें भुखमरी से राहत मिल सके।
- राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN Abhiyaan): यह योजना कुपोषण को कम करने और बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में सुधार के लिए शुरू की गई थी।
- मिड-डे मील योजना: इस योजना के तहत स्कूलों में बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है, जिससे बच्चों को पोषण मिलने के साथ-साथ उनकी उपस्थिति भी बढ़ती है।
भुखमरी से निपटने के लिए सुझाव
कृषि क्षेत्र में सुधार:
किसानों को तकनीकी सहायता, कृषि उपकरण, और पर्याप्त वित्तीय समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए। आधुनिक तकनीकों और टिकाऊ कृषि विधियों को अपनाने से खाद्य उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। इसके अलावा, किसानों के लिए फसल बीमा और उचित बाजार मूल्य की गारंटी देना भी आवश्यक है
खाद्य वितरण तंत्र में सुधार:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में सुधार के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना और इसे अधिक पारदर्शी बनाना जरूरी है। इस तंत्र को डिजिटलाइजेशन के जरिए सुधारने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि वास्तविक लाभार्थियों तक खाद्यान्न पहुँच सके।
कुपोषण से लड़ने के लिए पोषण अभियान:
बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN Abhiyaan) जैसी योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए। साथ ही, जागरूकता अभियानों के जरिए पोषण और स्वच्छता के महत्व को भी समझाना जरूरी है
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन:
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) जैसे कार्यक्रमों को और प्रभावी बनाना चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को अधिक रोजगार के अवसर मिलें। इससे गरीबी कम होगी, और लोग अधिक स्थिर आय अर्जित कर सकेंगे, जिससे भुखमरी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी
जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता और तैयारी:
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना और रणनीति तैयार की जानी चाहिए। इसमें टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, जल संरक्षण, और प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग शामिल होना चाहिए। इससे फसलों के उत्पादन पर मौसम के प्रभाव को कम किया जा सकता है
FAQs
प्रश्न 1: 2024 में भारत का वैश्विक भूख सूचकांक में कौन सा स्थान है?
उत्तर: 2024 में भारत का स्थान 127 देशों में से 105वां है
प्रश्न 2: भारत में भुखमरी के प्रमुख कारण क्या हैं?
उत्तर: भारत में भुखमरी के प्रमुख कारण गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण, कृषि संकट, और खाद्य वितरण तंत्र की खामियां हैं।
प्रश्न 3: सरकार ने भुखमरी से निपटने के लिए कौन-कौन सी योजनाएं शुरू की हैं?
उत्तर: प्रमुख योजनाओं में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, राष्ट्रीय पोषण मिशन, और मिड-डे मील योजना शामिल हैं
प्रश्न 4: भारत में बच्चों में कुपोषण की स्थिति कैसी है?
उत्तर: 2024 में भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग की दर 35.5%, वेस्टिंग की दर 18.7%, और मृत्यु दर 2.9% है
निष्कर्ष
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत की भुखमरी की स्थिति गंभीर बनी हुई है। सरकार द्वारा कई योजनाएं लागू किए जाने के बावजूद, जमीनी स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि संयुक्त राष्ट्र का 2030 तक ‘जीरो हंगर’ का लक्ष्य वर्तमान स्थिति को देखते हुए बहुत कठिन है
Sources:
- Global Hunger Index 2024 ReportNewsBytes Global Hunger Index 2024 Federal News