नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो शक्ति की आराधना को समर्पित है। इस त्योहार में नव दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन एक देवी का नाम, उनका बीज मंत्र और पूजा का विशिष्ट महत्व होता है। नव दुर्गा की पूजा से शांति, शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस ब्लॉग में हम नव दुर्गा के 9 नाम मंत्रों और 9 देवियों के बीज मंत्रों के बारे में जानेंगे, और समझेंगे कि प्रत्येक दिन किस देवी की पूजा करनी चाहिए और उनका क्या महत्व है।
Table of Key Information:
दिन | देवी का नाम | बीज मंत्र | पूजा का महत्व |
---|---|---|---|
1 | शैलपुत्री | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः | स्थिरता और शक्ति |
2 | ब्रह्मचारिणी | ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ब्रह्मचारिण्यै नमः | आत्मसंयम और ध्यान |
3 | चंद्रघंटा | ॐ ऐं ह्रीं श्रीं चंद्रघंटायै नमः | साहस और रक्षा |
4 | कूष्मांडा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः | स्वास्थ्य और समृद्धि |
5 | स्कंदमाता | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः | मातृत्व और स्नेह |
6 | कात्यायनी | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायन्यै नमः | प्रेम और विवाह की सिद्धि |
7 | कालरात्रि | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः | भय से मुक्ति |
8 | महागौरी | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः | शांति और पवित्रता |
9 | सिद्धिदात्री | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः | सिद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान |
1. शैलपुत्री (पहला दिन):
पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है, जिन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत शांत और दिव्य है।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः
- पूजा का महत्व: शैलपुत्री की पूजा से मनुष्य को स्थिरता और शक्ति की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से आत्मबल और जीवन में स्थिरता लाने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन):
दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह देवी ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं और तपस्या की प्रतीक हैं।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ब्रह्मचारिण्यै नमः
- पूजा का महत्व: इनकी पूजा से साधक में आत्मसंयम, धैर्य और ध्यान की शक्ति का विकास होता है। यह दिन आत्मज्ञान और ध्यान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
3. चंद्रघंटा (तीसरा दिन):
तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है, जो चंद्रमा के आकार का घंटा धारण करती हैं। इनका रूप युद्धकारी है और यह शत्रुओं का संहार करती हैं।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं चंद्रघंटायै नमः
- पूजा का महत्व: माँ चंद्रघंटा की पूजा से साहस, सुरक्षा और भय से मुक्ति मिलती है। यह दिन साहस और संघर्ष के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
4. कूष्मांडा (चौथा दिन):
माँ कूष्मांडा चौथे दिन पूजनीय हैं। यह सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली मानी जाती हैं और इन्हें आदिशक्ति कहा जाता है।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः
- पूजा का महत्व: इनकी पूजा से साधक को स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन का महत्व शारीरिक और मानसिक उन्नति से जुड़ा है।
5. स्कंदमाता (पाँचवा दिन):
माँ स्कंदमाता की पूजा पाँचवें दिन होती है। यह भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजी जाती हैं।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः
- पूजा का महत्व: स्कंदमाता की पूजा से मातृत्व का आशीर्वाद और परिवार में प्रेम और स्नेह का विकास होता है। यह दिन परिवार और मातृत्व से संबंधित सिद्धियों के लिए है।
6. कात्यायनी (छठा दिन):
माँ कात्यायनी छठे दिन पूजी जाती हैं। यह प्रेम और विवाह की देवी मानी जाती हैं और उनके भक्तों को उनकी इच्छानुसार जीवनसाथी प्राप्त होता है।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायन्यै नमः
- पूजा का महत्व: कात्यायनी की पूजा से विवाह और प्रेम से संबंधित इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह दिन उन महिलाओं के लिए विशेष है जो विवाह के इच्छुक होती हैं।
7. कालरात्रि (सातवां दिन):
माँ कालरात्रि को सातवें दिन पूजा जाता है। यह सबसे भयावह और उग्र रूप में मानी जाती हैं, जो राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों का संहार करती हैं।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः
- पूजा का महत्व: कालरात्रि की पूजा से साधक को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। यह दिन नकारात्मकता के विनाश और आत्मरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
8. महागौरी (आठवां दिन):
आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है, जो अत्यंत सौम्य और पवित्र रूप धारण करती हैं।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः
- पूजा का महत्व: महागौरी की पूजा से मनुष्य को शांति, पवित्रता और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
9. सिद्धिदात्री (नौवां दिन):
माँ सिद्धिदात्री नवें और अंतिम दिन पूजी जाती हैं। यह देवी सभी सिद्धियों और शक्तियों की प्रदाता मानी जाती हैं।
- बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः
- पूजा का महत्व: सिद्धिदात्री की पूजा से साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यह दिन आत्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक सिद्धियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।